ग़ज़ल

 ग़ज़ल

इक बार फिर से मीत बुलाने का शुक्रिया ,
बाहों में ले के प्यार जताने का शुक्रिया ।

भगवान तुझसे और भला क्या मैं अब कहूँ,
मेरा बसा जहान बचाने का शुक्रिया ।

मैं नेक दिल हूँ नेक सदा काम ही करूँ,
इलजाम दे जहां तो ज़माने का शुक्रिया ।

बेहाल प्यास से जहां में लोग थे सभी,
पानी की बूँदें जग में गिराने का शुक्रिया ।

तेरी करूँ मैं पूजा तेरा नाम ही जपूँ ,
मुरली की तान छेड़ रिझाने का शुक्रिया ।

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