ग़ज़ल

 

ग़ज़ल

यूँ भी होता है कुछ भला करना,
कुछ नहीं है तो बस दुआ करनाा।

चाहतों का न दौर हो ना सही,
पर अदावत की मत ख़ता करना ।

ख़ुद पे विश्वास बस रखो जग में,
कुछ न औरों से आसरा करना ।

सुख में जैसे हो साथ मेरे तुम,
वैसे ही दुख में भी रहा करना ।

मानते हैं कि हम से रुठे हो,
अब न सपनों में भी रहा करना।

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