कुछ तो हुआ
अपने बनकर
ही मिले
सच का
पता नहीं
किंतु पहलू में
तेरी एक
सुनहरी शाम
हरपल पुलकित
करती
मन में कोई
बंधन नहीं
किंतु कुछ
गुनता, बुनता
नई दुनिया
महसूस हुई
अदभूत रोमांच
कल्पना से परे
ऐसा कभी
हुआ भी नहीं
पहली बार
तेरे नजदीक
गुंजते भंवरों
का हो रहा
चमत्कार
अनोखी
झनकार
स्वपनिल
संसार
©A