ग़ज़ल

बहुत सपने ही देखे भीगी शाम से पहले,
हमेशा रास्ता देखा तेरा अंजाम से पहले।

किताबों में है सूखे प्यार के तोहफे कई रखे,
उन्हें सहला ही लेते हैं तुम्हारे नाम से पहले।

मैं दस्तक दे रही हूँ बंद पट तुम खोल भी डालो,
तेरी आँखों में खुद को देख लूँ इल्ज़ाम से पहले।

गवाही दे रही धड़कन तू दिल के पास है मेरे,
इशारा एक ज़रा कर किसी भी काम से पहले।

मैं चाहूँ प्यार की लग जाए हथकड़ी मुझको,
तड़पती है तमन्नाएँ किसी आराम से पहले।

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