कविता

ऐ  मतवाली



ऐ पीले फूलों वाली
 तेरे काले बदन पर छाए
 हरियाली  की डाली 
तू मतवाली , छैल छबीली
बलखाती लहराती  
आती जाती 
आज सवर के कहाँ चली
मस्त पवन सी डोल रही है 
आंचल को यूँ सहलाती
अब तू कुछ कह दे 
या फिर  तुमने
 इन फूलों की पैजनिया 
अमलतास की छाव तले
अपना रूप निखार रही
अरे तू वही तो है 
जो हमारे पैरों के नीचे 
रहकर हमेशा दबी रही 
आज इन फूलों ने तेरे
रुप को दिया सवार
तभी तूने मस्त मलन्द हो,
खुले गगन में 
सूनी डगर में 
लहर रही आंचल अपार...।


© अंजना छलोत्रे