कफिया .... पुराना
रदीफ़......हो गया
मिसरा.... दर्द से रिश्ता पुराना हो गया
बहर......2122 2122 212
उस से बिछड़े अब जमाना हो गया,
साथ पल गुज़रे जमाना हो गया।
उनसे नज़रें ही मिलीं इतना हुआ
प्यार में बस डूब जाना हो गया ।
भोर के माथे सजा सूरज तो क्या
बस ज़रा मौसम सुहाना हो गया
कितने तूफानों से हम टकरा गए
घर मेरा उनका ठिकाना हो गया।
साथ चल दो तुम ज़रा उस मोड़ तक
फिर उधर से आना जाना हो गया।
रात में जुगनू की ये रोशन बरात
दिल में उनका फिर ठिकाना हो गया।
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अंजान छलोत्रे