बात कुछ काम की चाहते हैं,
आपकी ज़िंदगी चाहते हैं.
छंट भी लें काली रातों के साये,
सुबह की बंदगी चाहते हैं .
थक गए ख्वाहिशों के मुसाफिर,
अब सुकूं दो घड़ी चाहते हैं .
मत करो बदजुबानी किसी से,
बात मिसरी घुली चाहते हैं .
खा चुके अब तो धोखे ही धोखे,
अब शराफत सभी चाहते हैं............