ग़ज़ल
मुझे देवता बनकर न पूजो तुम
रहने दो मासूम सा बच्चा बनकर
दिल के जज्बातों को बयां है यह
देखो मेरी जगह मुझसा बनकर
दिल की बात करते थकते नहीं
एहसासों को समझो मेरा बनकर
अपनी ही बातें न जाने कितनी है
कभी किसी की सुनो श्रोता बनक
हवा में बातें बहुत सी कर ही ली
अब थामो मेरा हाथ सजना बनकर
आजमाने को बहुत है मेरे पास
जूनूनी प्यार में है वफा बनकर
कभी करीब आओ सपना बनकर
अपना बना लो अपना बनकर।