ग़ज़ल
काफिया ....आल
रदिफ......आया
मात्रा ....122 122 122 122
जिंदगी भर ना ये कमाल आया
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जिंदगी में अजब बबाल आया
यह बुढ़ापे में क्या उबाल आया
सिलसिला खत्म जब खतों का हुआ
खून से इक रंगा रुमाल आया
हद हुई इंतजार की अब तो
तेरी चाहत पर भी मलाल आया
वह कहीं भी नजर नहीं आता
यह तसव्बुर तो घर खंगाला आया
साथ रहने के मसअले पर तो
मेरे होने पर भी कमाल आया
तेरे ख़त फेंक कर समंदर में
अपनी हसरत ये दिल निकल आया