ग़ज़ल
दिल को बचाया न जाएगा
कैसे बचेंगे दांव लगाया न जाएगा ।
तुम साथ रहोगे सदा ये तुम ने कहा था
सपना हसीं ये हम से भुलाया न जाएगा।
पल भर को ठहर भी ऐ मुसाफिर यहीं कहीं
मंजिल है दूर है दौड़ के जाया न जाएगा।
दिल में गुबार मत रखो करते चलो भला
मौका है पुण्य फिर ये कमाया न जाएगा ।
रहमो करम को उसके चुकाना यहीं तो है
फिर लौटकर यहाँ पे तो आया न जाएगा।