ग़ज़ल

ग़ज़ल


जब मुहब्बत में वफ़ा होती है ,
वो अनोखी ही अदा होती है.


 देखना है कि क्या हुआ आखिर ,
बात की तह में कज़ा होती है .


राह में कितने ही तूफान मिले ,
टूटते दिल में अना होती है .


हर कहानी का मिजाज है अपना,
हर कहानी ही जुदा होती है.


राह की ठोकरों से बचना है,
अपनी आँखों में ज़िया होती है.


बात चाहे करो या फिर न करो ,
खामोशी भी तो दवा होती है.........