ग़ज़ल

ग़ज़ल


दूर दराज  है   वीरा  मेरा,
कब मिलने का पल निकलेगा .


 सोना समझे कहाँ खबर थी ,
वह खोटा पीतल निकलेगा. 


किया भरोसा खाया धोखा ,
सम्हलों वह तो छल निकलेगा .


रहवर की है बात निराली ,
वह तो सदा अटल निकलेगा.


 दुनिया दारी चलो निभा ले ,
वरना मौका चल निकलेगा .


तेरा हरदम साथ रहा तो,
 हर सवाल का हल निकलेगा......।