ग़ज़ल

अगर कोई रिश्ता निभाना पड़ेगा,
मुहब्बत की ताकत को लाना पड़ेगा .


नदी को समंदर में जाना पड़ेगा,
कि जिस्मों को रूह से मिलाना पड़ेगा.


ग़ज़ल


रहम करने वाले यकीनन बड़े हैं,
उन्हें अपना रहबर बनाना पड़ेगा .


बुरा हाल होगा मुहब्बत में दिल का,
सुकू  चैन सारा   गंवाना  पड़ेगा .


कई बार रुसवाई सह के देखीं,
सबक कासिदों  को सिखाना पड़ेगा.


बुलंदी पर चढ़कर न मगरूर होना,
पड़ा वक्त तो सर झुकाना पड़ेगा .


जो है हौसला तो मुकाबिल को आओ,
कि औकात में तुम को आना पड़ेगा .


मोहब्बत में रुसवा हमें करने वालो,
कभी सामने तुमको आना पड़ेगा.......