ग़ज़ल

ग़ज़ल


दूर बैठकर तमाशा देखने वालो,
कुछ  नहीं  तो  दुआ  करना ।


हमारे अपनों को चाहो  ना सही,
 इबादत में  मत  खता  करना ।


रात की बात गई रात गई,
कुछ तो नया बयां  करना ।


हर बात पर मुस्कुराने वालों,
दुख में   तो साथ किया करना ।


मानकर बैठे हैं तुम तो रुठे  हो,
 हम दम सपनों में रहा करना ।


आज की बात अधूरी ही सही ,
पूरी करने को साथ चला करना।