ग़ज़ल

ग़ज़ल


नसीब का अजी शिकवा न कीजिए ,
जिंदा दिली से जीना है रोया न कीजिए।


मुश्किल हो निभाना भी तो धोखा न कीजिए,
 बदनाम प्यार में तो वफा को न कीजिए।



मौसम बहार का है चमन में रहेंगे साथ,
चुभते हैं ख़ार  दिल मेरा तोड़ा न कीजिए।


 रिश्तों की समझ हो गई है अजकल हमें ,
यूँ छोड़ के जाने का इरादा न कीजिए ।


नफरत भरे बैठे हैं तो बैठे ही रहेंगे ,
हसरत से  तो खुशियों को देखा न कीजिए।


काया निरोग रखनी है तो कोशिशें कर,
किसने कहा है आप से योगा न कीजिए ।