ग़ज़ल
बहुत सी बातें करनी है अभी बाकी बची हैं जो
समय की तेज़ रफ्तार में गुजार जीवन न जाएगा
तुम्हें माना सदा अपना ,हमेशा साथ देना तुम
रहेगें साथ तो रीता मेरा सावन ना जाएगा
बिछा दें फूल की पंखुड़ी हम तेरे रास्ते में
पवन खुशबू से महकेगा तो अपनापन न जाएगा
सुगम कर देंगे मंजिल आपके नजदीक हम आकर
खजाने से खुशी के अब कभी ये धन न जाएगा
मचलता है मेरा मन हर दम, पास भी हो तुम
समझते क्यों नहीं हरगिज़ मेरा बचपन न जाएगा
कमल पंखुड़ी की भांति नाजुक हो ये कहते थे
न मुरझाना कभी तेरा सदा योवन न जाएगा......