सुनो न.....

 



अपनी क्षमताओं को पहचानना ही तो पहला मकसद है.. आपके होने को, अपनी योग्यता को समझने लगते हैं तो ही आप जीवन मैं वह सब कर पाने में सक्षम होते हैं जो आप करने आये हैं...


यही से जीवन शैली का विकास होता है और आपकी यात्रा में सफलताएँ  खुद-ब-खुद आपकी झोली में आती जाती है. अपने पर, अपने होने पर,  धरती पर आने के मकसद को समझ लो , पहचान लो , सब कुछ साफ-साफ नज़र आने लगेगा .


अपने वजूद का विश्लेषण आप किसी भी उम्र में कर सकते हैं  , सीख सकते हैं,  करना आना चाहिए ..बेमकसद  का जीवन यापन अंतिम पड़ाव पर हमेशा ग्लानि ही देता है,  कुछ अच्छा कर्म शीतलता प्रदान करते हैं कि हमने अपने आने को , होने को सार्थक किया है...सुकून किसे अच्छानहीं लगता.....