सुनो ना...

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सोच का सीधा संबंध आपके शरीर के ब्रह्मांड का है । सोच ही मानव को महान बनाती है लेकिन हम अगर प्रकृति से स्वयं को जोड़ ले तो हम समझ पाएंगे कि जीवन में इको पद्धति का कितना महत्व है . जब हम एक कमरे में अकेले बात करते हैं या चिल्लाए तो दीवारों से टकरा कर आवाज वापस आती है इसका मतलब है कि जैसा देंगे वैसा ही वापस आयेगा । अच्छा सोचा अच्छा वापस और बुरा सोचा बुरा,  तो सोच को समझना होगा वाकई हम जो प्रकृति को देते हैं वही लौटता भी है व्यक्तित्व का निखार सकारात्मक सोच ही है अपने प्रति भी और दूसरों के प्रति भी।