समाज में भी सोच का नजरिया बदलना होगा, जहाँ अस्वीकार है वहां प्रोत्साहन कि चाह पैदा करनी होगी . हमें स्वीकार करना , ठुकरा देना और नकारना ही जीवन की श्रेष्ठ उपलब्धियाँ हैं इसे प्रथम पृष्ठ पर रखना होगा... यह वह ओजार हैं जो आपको जीवन में पैना करने की भूमिका अदा करते हैं , इसी नकारात्मक औजार को आप अपना लगातार प्रयास का माध्यम बनाएँ, और प्रयास को सफलता की कुंजी, अगर ठान लिया जाएँ तो कुछ भी असंभव नहीं.
कमी हमारे ठानने और लगातार प्रयास में हैं. निराशा तो राह ताकती रहती है कि कब अपने शिकंजे में जकड़े और एक जिंदगी तहस नहस कर दे .
जब तक आपको ललकारने वाला नहीं होगा आप काहे को आक्रमण करेंगे, यही वह चीज है जिसे जागृत करना होगा. अरे भाई सफलता चीज क्या है ...अगर.. आप ने चाहा लिया ।