सुनो न.....

 


 हम खुद से खुद की पहचान करने से डरते हैं , सीधा रास्ता चुनना आसान लगता है,  किसी भी कार्य को न कर पाने का बहाना उससे भी आसान .


अब समय आ भी गया है कि आप अपने होने को समझे कोई भी इंसान इस धरती पर बिना किसी मकसद  के नहीं आया है उस मकसद , वजह और आपके होने को समझना होगा , वह किसी भी क्षेत्र में हो सकता है ज्ञान प्राप्त करना,  क्या यह है समझना,  अच्छे नंबर लाकर ही आप श्रेष्ठ हैं क्या, नहीं ...बल्कि क्या आप व्यावहारिक जीवन में भी श्रेष्ठ है ? क्या आप  जिस ग्रह पर रह रहे हैं , उस प्रकृति से,  उस भूमंडल से आपकी अपनी  देने की प्रकृति क्या है ?  क्यों और किस लिए हैं ?  


आप कुछ करना चाहते हैं या बहुत कुछ अच्छा करना चाहते हैं , यह समझ विकसित करने के लिए स्वयं का साक्षात्कार  हमेशा  करे , हम समीक्षा करें,  अपने से प्रश्न करें और लगातार करें,  एक न एक दिन जवाब मिल ही जाएगा .


 यह खोजी  सोच माता-पिता को भी हो तभी बच्चे में विकसित होगी,  अच्छे मार्गदर्शक की भूमिका को निभाने में ज्यादातर माता-पिता से चूक हो रही है,  एक मानसिकता विकसित हो रही है कि अपना न देखना न तराशना बल्कि दूसरा क्या कर रहा है,  क्यों कर रहा है , इस पर ध्यान केंद्रित कर अपने समय को जाया किया जा रहा है,  जो ठीक तो कहीं से भी नहीं है  होना यह चाहिए कि स्वयं से स्वयं का साक्षात्कार करे.....